Diya Jethwani

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लेखनी कहानी -02-Jul-2023... एक दूजे के वास्ते... (7)

रश्मि मन में बड़बड़ाते हुए कुछ कदम चली ही थीं कि उसे सामने से अलका आती हुई दिखीं....। वो दौड़ कर उसके पास गई और चिल्ला कर बोली.. :- कहाँ चली गई थी तु, बता कर नहीं जा सकती थी, मैं कितना परेशान हो गई थी कुछ पता भी है तुझे...। 



ओ हो.....! इतना गुस्सा......तुझे गुस्सा भी आता है मेरी जान......। 

रश्मि नाराज होकर मुंह फेर कर खडी़ हो गई.....। 


अलका ने उसे साईड से गले लगाया ओर बोली...:- सॉरी यार....।वो राहुल का फोन आ गया था......। अब तु अपने बाबा जी से बातें करने में गुम थी इसलिए तुझे बिना बोले फोन करने चली गई। अब ये नाराजगी छोड़ यार.....। 


रश्मि अभी भी बिना कुछ बोले खडी़ थी.....। 


अलका ने उसके कान में आकर कहा.. पानी पूरी  खाएगी......! 

ये सुन रश्मि उसको देखकर मुस्कुरा दी। 


अलका ने हंसते हुए कहा :- मुझे तेरी कमजोरी अच्छे से पता है। चल पहले हम पानी पूरी खाते हैं फिर आराम से बैठकर बातें करते हैं। 


अलका उसका हाथ पकड़ते हुए थैले वाले के पास आई ओर दोनों पानी पूरी खाने लगीं। 
थोड़ी देर बाद दोनों मंदिर की सिढि़यो पर बैठ गई। 

अलका :- चल अब बता.. क्या बात है। तु किस बात को लेकर इतनी परेशान है। 

यार मुझे दिल्ली जाना हैं...। 

दिल्ली....!! लेकिन क्यूँ...? 

दर असल मेरी दी का फोन आया था... उन्होंने पापा को बोला हैं वहां कैंसर का एक बहुत बड़ा डाक्टर हैं... तो पापा चाहते हैं मम्मी का इलाज वहां से करवाये...। 

अलका :- लेकिन रश्मि ऐसा कैसे हो सकता है। कल से तेरी  प्रैक्टिस चालू होने वाली है ओर हैड सर को अगर पता चला तो वो बहुत नाराज होंगे....। उनकों कितनी उम्मीदें है तुझसे.....। कल ही तो अंकल से बात की थी हमनें.....। ऐसे कैसे जा सकतीं है तु, और फिर दो महीने बाद कोलेज के एग्जाम भी तो है, ना जाने वहां कितना टाईम लगे, और सबसे बड़ी बात तो तू अकेले जाएगी कैसे.......? 
कभी कोलेज भी अकेले नहीं आती है तु.....। दिल्ली कैसे जा पाएगी....! नहीं रश्मि तु अंकल को मना कर दे..... मैं ऐसे तुझे अकेले नहीं भेज सकतीं.... । 


रश्मि ने अलका का हाथ पकड़ते हुए कहा..:- मना नही कर सकतीं अलका.....। चाहे उन्होंने कभी मुझे अपनी बेटी माना हो या नहीं मैं तो उनको ही अपना सब कुछ मानती हूँ, मुझे अपनी पढ़ाई, एग्जाम्स या खेल कि फिक्र नही है, मुझे बस अकेले जाने का डर है.....। मैंने पापा को भी कहा था लेकिन ओर कोई रास्ता नहीं है.....। 


अलका - ठीक है अगर ऐसी ही बात है तो मैं भी चलुंगी तेरे साथ.....। मैं तुझे ऐसे अकेले तो जाने नहीं दुंगी। वो भी दिल्ली जैसे शहर में..... कभी नहीं....। 


रश्मि:- नहीं अलका, अभी तुने ही कहा था कि एग्जाम आने वाले है..... तो ऐसे में तुझे यहां रहकर अपनी पढ़ाई करनी चाहिए, ओर फिर मेरे पीछे से पापा का ध्यान भी तो तुझे ही रखना है ना.....। 


 वो मैं कुछ नहीं जानती रश्मि, मैं तुझे अकेले नहीं जानें दुंगी बस। 


 प्लीज यार.....जिद्द मत कर। तु यहां रहेगी तो वहां मुझे कम से कम पापा की तो टेंशन नहीं रहेगी.....। 
 

 तु वहां टेंशन  फ़्री रहेगी ओर यहां मेरा क्या......! वो तुने सोचा है......! देख रश्मि मैं तेरे साथ चल रही हूँ.......। बस अब इसके आगे कोई ओर बात नहीं.....। रही बात यहां अंकल की तो मैं राहुल और पापा को बोल दुंगी वो ध्यान रख लेंगे.....। फिर भी अगर तू मुझे नहीं ले जाना चाहतीं है साथ में.......तो कोई बात नहीं मैं तेरा पीछा करते हुए आ जाउंगी, क्योंकि मुझसे पीछा छुड़ाना इतना आसान नहीं है। 
 

रश्मि उसको देखते हुए मुस्कुरा दी ओर बोली :- तुझसे दूर रहकर तो मैं भी नहीं जी पाउंगी। 

अलका ने उसको गले लगा लिया ओर कहा :- तो बस फिर....मैं साथ चल रहीं हूँ....।रहीं बात पढ़ाई की, नोट्स की.....तो राहुल कब काम आएगा.....। 

ऐसा कहकर दोनों घर की ओर चल दीं। 


घर पहुंचते ही रश्मि सीधे किचन की ओर चल दी और खाना बनाने की तैयारी करने लगी। 

वहां अलका ने अपने पापा को सारी बातें बताई और उनसे रिक्वेस्ट कि की वो उसे जाने दे। 

अलका के पापा ने उसके सिर पर हाथ रखा और कहा :- बेटा तुने बिल्कुल सही किया, तु अगर नही जाती तो मैं तुझे जबरदस्ती भी भेजता, और तु किशन की बिल्कुल चिंता मत कर मैं देख लुंगा। बस वहां जाकर अपना, रश्मि का और उनकी मम्मी का अच्छे से ध्यान रखना और मुझे हर पल की खबर देतीं रहना। 


हां पापा, थैंक्यु पापा... कहकर अलका उनके सीने से लग गई। 


रश्मि सबको खाना खिला कर अपने कमरे में आई और कबर्ड के उपर रखे बक्से को उतार कर अपने कपड़े और जरूरत का सामान पैक करने लगी। सामान पैक करते वक़्त भी डर उसके चेहरे पर साफ़ दिख रहा था। 

वो मन ही मन सोच रहीं थीं......अभी तो अकेले भी नहीं जाना हैं पर फिर भी पता नहीं क्यों मुझे बहुत डर लग रहा है, ऐसा लग रहा है जैसे कुछ होने वाला है.....। मेरा दिल, दिमाग जैसे मुझे रोक रहे हो, मेरे कदम भी मेरा साथ नहीं दे रहे हैं। कुछ तो बहुत बुरा होने वाला हैं...। हे बाबा जी..... रक्षा करना.....। 

कुछ देर बाद रश्मि ने अलका को फोन किया और पुछा... अलका क्या तुने राहुल को फोन किया.....? 

नहीं यार.....। कल कालेज चलकर ही बात कर लेंगे। 


रश्मि- ठीक है.....। पर अलका पता नहीं क्यों मेरा मन बहुत घबरा रहा है।। 

अलका- टेंशन मत कर मैं हूँ ना तेरे साथ।।। साये की तरह हमेशा तेरे साथ ही रहुंगी। अच्छा अब ये बता.. तुने खाना खाया.....? 


 नहीं.....। भुख नहीं है।। वो पानी पूरी खाई थी ना इसलिए.....।
  

ओ हैलो......!! तुझसे ज्यादा तो मैंने खाई थी, फिर भी मुझे भुख लगीं है तो तुझे कैसे नहीं लगी होगी......? जल्दी से फोन रख और फटाफट पहले खाना खा ले....। समझी.......। 


रश्मि हंसते हुए- आपका हुक्म सर आंखों पर मेरे आका.....।
गुड नाईट......। 


गुड नाईट मेरी जान.....। ऐसे ही हंसती रहा कर अच्छी लगती है.....। 

ऐसा कहकर दोनों ने फोन रख दिया। 

लेकिन अलका  कि आखिरी बातें सुन कर रश्मि को कोलेज मे कोच सर की कही हुई बात में याद आई.....। "गुस्से में बहुत अच्छी लगती हो। "


रश्मि मन ही मन सोच रही थी पता नहीं क्यों पर मुझे उनका अहसास अपना सा लगता है। जब भी देखती हूँ एक अलग ही फिलिंग्स होती है, दिल की धड़कने बढ़ जाती है। ऐसा क्युं हो रहा है मेरे साथ.....। 
आज सोचा था अलका से इस बारें में बात करूंगी.....पर उससे इस बारे में कुछ बात ही नहीं कर पाई....। उसके पास मेरे हर सवाल का जवाब होगा......। उसी से ही बात कर लेती हूँ....। 


ऐसा सोचकर रश्मि ने फोन उठाया ओर अलका का नम्बर लगाने लगी.....। लेकिन फिर कुछ सोच कर फोन रख दिया.....। 
नहीं...बार बार फोन करना सही नहीं है ओर ये सब वो फोन पर समझेगी भी नहीं.....। कल कोलेज में बात कर लेती हूँ। 


इतना सोचकर वो अपनी ओर रोहित की हुई मुलाकातों के बारे में सोच कर मुस्कुराने लगी.....। थोड़ी देर बाद उसकी आंख लग गई। 



सुबह उठते ही रश्मि किचन में गई ओर चाय बनाकर अपने मम्मी पापा को देकर.......खुद वाशरूम चली गई ओर कोलेज के लिए तैयार होने लगी। 

तैयार होकर उसने अपने पेरेंट्स के पांव छुए और कहा :- पापा मैं कालेज जा रही हूँ......। हैड सर से बात करने ओर लीव लेने। मैं जल्दी ही वापस आकर आपका नाश्ता बना लुंगी। 

रश्मि जाने के लिए मुड़ी ही थी कि उसके पापा ने बोला:- रूक! आते वक़्त ट्रेन की टिकिट्स भी लेतीं आना, और तेरे बैंक के खाते में जो रूपये है वो भी लेती हुई आना, वहां ईलाज के लिए जरूरत पडे़गी। 


रश्मि-जी पापा....। 


बाहर आते ही उसने अलका को फोन किया। 


अलका:- हैलो, रश्मि तु रिक्शा स्टैंड पर आ मैं दो मिनट में वही आ रही हूँ। 


रश्मि:- ठीक है पर जल्दी आना.....। 


रश्मि अकेले ही चल रही थी। तभी एक तेज़ रफ़्तार से आती हुई बाईक उसके सामने आकर रूक गई। 
रश्मि ने डर के मारे अपने हाथ को अपनी आंखों पर रख लिया....। 

हाथ हटाए बिना ही वो जोर से बोली... :- आर यू मैड। मार डालोगे क्या....!! 


फिर उसने अपनी आंखों से हाथ हटाकर बाईक वाले को गुस्से से अपनी उंगली दिखा कर कुछ बोलने ही वाली थी कि रोहित को सामने देख कर चुप हो गई ओर उसी पोजीशन में खडी़ होकर एकटक देखने लगी। 


रोहित अपनी बाईक पर बैठा मुस्कुरा रहा था। 
फिर वो बोला :- उंगली नीचे कर लो, मैंने देख ली अच्छे से। 

रश्मि अचानक से सकपका गई ओर उसने अपनी नजरें झुका ली फिर बिना कुछ बोले वहां से जाने लगी तो रोहित ने पास आकर बोला :- मैं छोड़ दुं.....! 


रश्मि ने नो थैंक्स कहा ओर जल्दी जल्दी रिक्शा स्टेंड पर आ गई। 


रोहित अभी भी वही खड़ा होकर उसे देख रहा था। 
वो रश्मि को देख सोच रहा था......कितनी सादगी, कितना भोलापन, कितनी मासुमियत है इसमें....। पहली बार देखते ही पता नहीं क्युं पर इसका होने को दिल चाहता है....। इसकी आंखों में कुछ तो बात है......। इसका मासूम सा चेहरा आंखों में बस गया हैं.......। चेहरे पर उड़ती ये ज़ुल्फें....ये गुस्सा.....।हाय.....मेरी जान ले जाएगा......। सिरीयसली...  आई लव हर......। 


उसने उपर की ओर देखा ओर बोला" गाड प्लीज हेल्प मी"...... इसे मेरी साथी बना दो.....। 

रोहित दूर खड़ा होकर अभी भी रश्मि को ही देख रहा था....। 

वहीं रश्मि अभी भी अलका का इंतजार कर रही थी। 
रोज लेट करवा देती है ये अलका ...... कबसे खडी़ हूँ...... टाइम की कुछ कद्र ही नहीं उसे....। दिल तो करता है कभी उसे छोड़ कर अकेले ही चली जाऊँ। 
रश्मि अपने आप में बड़बड़ा ही रही थी। 


मेरे बिना जाएगी तो मुझसे ज्यादा खुशी किसी को नहीं होगी मेरी जान.....। 
अलका ने पीछे से आकर उसको गले लगाते हुए कहा...। 


मैं अकेले तुझे छोड़ कर जाउंगी तो तु खुश होगी...!!
रश्मि ने आश्चर्य से पुछा.....। 


हां, माय लव...। क्योंकि इसी बहाने तु अकेले जाना तो सिखेगी......। ओर मेरा भी तुझसे पीछा छुटेगा....। 

अलका रश्मि को छेड़ते हुए बोली। 


फिर तो तु भुल जा कि मैं कभी अकेले जाऊंगी। इतनी आसानी से तेरा पीछा मैं भी नहीं छोड़ने वाली.....। 

दोनों एक दुसरे को देख कर हंस दी.....। 


तभी रश्मि बोली.. अभी चले। मुझे जल्दी वापस आकर नाश्ता भी बनाना है, मम्मी की पैंकिग भी करनी है। 
स्टेशन भी जाना है.....। बैंक भी जाना है.....। 

अलका-बस कर यार.....।  चल रही हूं.....। 
दोनों ने रिक्शा रोकी ओर उसमें बैठ कर कोलेज कि ओर चल दी।


उन दोनों के जातें ही रोहित भी वहां से चल दिया....। 


# कहानीकार प्रतियोगिता..... 

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आखिर क्या होने वाला था रश्मि के साथ दिल्ली में...! 
क्या रोहित और राहुल कभी अपने प्यार का इज़हार कर पाएंगे..! 
जानने के लिए इंतजार किजिए अगले भाग का...। 



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5 Comments

madhura

16-Aug-2023 09:32 PM

Nice

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Abhilasha Deshpande

16-Aug-2023 12:20 PM

Nice

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Babita patel

16-Aug-2023 10:37 AM

Nice part

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